सबक जो बच्चे महाभारत से सीख सकते है

Articles

क्या आपको याद है वो रविवार की हर सुबह जो हरीश भिमानी की दिल को छू लेने वाली दमदार आवाज़ “मैं समय हूँ” से शुरू होती थी ? आज भी अगर सोचते है तो रोंगटे खड़े हो जाते है | मुझे तो आज भी याद है जब मेरे दादी मुझे रामायण और महाभारत के नाजाने कितने पात्रों से हर रोज मिलवाती थी, इनसे जुडी कितनी ही कहानियाँ मैंने सुनी और आज मैं अपने बच्चों को भी सुनाती हूँ | सच मानिये ये सिर्फ मन-गढ़ी कहानियाँ नहीं बल्कि बारीकी से देखों तो “जीवन” का सारांश है और बच्चों को बहुत कुछ सिखाती है – तो कौन से है वो सबक जो बच्चे महाभारत से सीख सकते है और ज़िंदगी भर उन्हें काम में ला सकते है-

1.अपने हक़ के लिए लड़ों

कानूनी तौर पर जो पांडवों का था वे उसके लिए डट कर लड़े वो भी बिना सोचे कि उनकी सेना कौरवों के मुकाबले नाम मात्र की भी नहीं | क्योंकि वे जानते थे कि ये सही है और उनके हक़ का है |

सीख

ये सीख आजकल के माहौल को देखते हुए बिल्कुल सही साबित होती है | बच्चो को ये सिखाना बेहद जरुरी है कि अन्याय के खिलाफ और अपने हक़ के लिए खड़े होना बहादुरी का काम है |

2. बुरी संगत से सावधान

शकुनि मामा ने कौरवों का शुभचिंतक होने के बावजूद उन्हें गलत सलाह दी, उन्हें गलत राह दिखाई जिसकी वजह से उनकी पराजय हुई |

सीख

माना हर इंसान को एक सच्चे दोस्त की जरुरत होती है लेकिन किसी को भी बुरी संगत रास नहीं आती इसीलिए बुरी संगत से बचें क्योंकि ये आपकी ज़िंदगी खराब कर सकती है |

3.अपने से बड़ों का आदर करें

पांडवों ने अपनी माँ की द्रौपदी को पाँचों भाइयों की पत्नी होने वाली बात का आदर किया, अर्जुन ने कर्मभूमि में अपने से बड़ों से लड़ने से इंकार किया, और हम “भीष्मप्रतिज्ञा” को कैसे भूल सकते है जिसमे भीष्म ने अपने पिता को पूरी ज़िन्दगी अविवाहित रहने का वचन निभाया |

सीख

बच्चो को हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए लेकिन कोई भी बात आँख बंद कर विश्वास करना भी ठीक नहीं | किसी भी तरह की दुविधा होने पर बड़ों से सवाल करने में कोई गलती नहीं | क्योंकि गलती बड़ों से भी हो सकती है |

4.सभी को एक वफादार दोस्त की जरुरत होती है |

दुर्योधन अभिमानी था पर उसने कर्ण को तिरस्कार से बचाकर उसे अपना ज़िन्दगी भर का सच्चा साथी बना लिया | ये कहना गलत नहीं होगा कि बिना कर्ण की सलाह, साथ और कौशल के, दुर्योधन रणभूमि में ज्यादा दूर तक नहीं जा पाता |

सीख 

अपने बच्चे को सिखाएं कि दिमाग और कौशल होना सराहनीय है लेकिन बिना अच्छे दोस्तों के ज़िन्दगी में बड़ी कामयाबी हासिल करना मुश्किल हो जाता है |

5.ज्ञान पाने की भूख होना बहुत जरुरी है

एकलव्य ने पेड़ों के पीछे छिप कर भी वो सब सीखा जो द्रौणाचार्य अर्जुन को सीखा रहे थे | उसका तीरंदाज़ी को लेकर जूनून और ज्ञान की भूख ने उसे अर्जुन से भी अच्छा योद्धा बना दिया |

सीख

हो सकता है आपको ज्ञान पाने की वो सभी सुविधाएं ना मिले जो और लोगो को मिलती है लेकिन ज्ञान पाने की सनक आपको आसमान की बुलंदियों पर ले जा सकती है |

6.सबको कोई ना कोई कला सीखनी चाहिए

चाहे पांडवों का नाम महान योद्धाओं की गिनती में आता है लेकिन उन्हें भी अपने 13 साल के वनवास में कई नयी कलाएं और हुनर सीखने पड़े | उन्होंने खाना बनाना, साफ़-सफाई करना यहाँ तक कि नृत्य कला को भी सीखा जो उनके वनवास के आखिरी साल में बहुत काम आयी जब उन्हें भेस बदल कर रहना पड़ा |

सीख

चाहे बच्चा पढ़ाई में कितना ही निपुण क्यों ना हो, किसी कला को सीखना कभी बेकार नहीं जाता | क्या पता कब आपको इसकी जरुरत पड़ जाएं |

7.कोई भी बुरी लत आपको भारी पड़ सकती है

युधिष्ठर एक समझदार और नैतिकता के रास्ते पर चलने वाला महान योद्धा था लेकिन उसके जुएं की बुरी लत ने उससे उसका राज्य, उसके भाई यहाँ तक कि उसकी पत्नी तक दांव पर लगवा दिए |

सीख

बुरी लत आपसे कई आपत्तिजनक चीज़े करवाती है और आपको आसमान से इतना नीचे धकेल देती है कि आपको जमीन भी मिलना मुश्किल हो जाता है |

8.बोलने से पहले सोचो

द्रौपदी ने कर्ण का तिरस्कार किया | उसने दुर्योधन का भी अपमान किया जब वह इंद्रप्रस्थ उनके महल में गया | माना जाता है कि उन्ही अपशब्दों ने दुर्योधन के दिल में बदले की भावना जगाई जिससे पहले द्रौपदी चीरहरण हुआ और बाद में युद्ध |

सीख

इंसान को बोलने से पहले सोचना चाहिए | हर एक बात कहने का सही समय और सही जगह होती है लेकिन अपशब्दों के लिए कोई सही समय कोई सही जगह नहीं होती |


Credits चित्र स्त्रोत -CATCHUPDATES, DETECHTER, AWAAZ NATION, slide player

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *