लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी

Poems

 

माँ चाहिए ,बहिन चाहिए ,पत्नी भी चाहिए लेकिन बेटी नहीं,

 तहा ज़िन्दगी कोसने से अच्छा है मेरा एक और बलिदान सही ,

एक और ज़िन्दगी हार सी गयी,

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी।

मुह मोड़ने से पहले एक बार अपने गले लगाया तो होता,

माँ से बढ़कर कुछ नहीं ,मुझे भी एहसास दिलाया तो होता,

एक और आशा खाख में मिला दी गयी,

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी।

सुना है पिता की ऊँगली पकड़ कर चलना सीख जाती मै ,

सबसे लाडली होती उनकी अगर इस दुनिया में आती मै,

रोने से पहले किलकारी दबा दी गयी,

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी।

 

मुझे चाहने से क्या तेरा प्यार कम हो जाता,

जानती हू खुशियाँ दुगनी हो जाती अगर तेरा बेटा आता ,

एक और बेटी दाव पर लगा दी गयी,

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी ।

ज़िन्दगी लम्बी नहीं बड़ी चाहिए थी मुझे,

इंतज़ार करते,मौत बेवक्त तो नहीं चाहिए थी मुझे,

एक और जान दुनिया की असलियत को जान गयी,

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी।

बड़े-बूढ़े आशीर्वाद देते हैं -भगवान तेरी झोली बेटे से भर दे

 तभी ये हो रहा हैं मेरे साथ ताकि तू बेटे के लिए अपनी कोख तो खाली कर दे |

एक और बेटी शादी के बिना ही अपनों से पराई हो गयी

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी

 

 लड़का होती तो होने वाली दादी बोलती मेरी -ध्यान से पकड़ो इसे,ये कोमल रुई हैं

पर आज पता चला, दुनिया के तीन दिल दहलाने वाले शब्द होते हैं “लड़की हुई है “

एक और बेटी दोगले समाज को पहचान सी गयी

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी

पर देखना अगर मैं ना होउंगी ,रक्षा बंधन, भैयादूज नहीं होगा

कंगन, मेहंदी, रोली का कोई मायना ना होगा

एक और बेटी समाज को आईना दिखा सा गयी

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी

 


सूने हाथो को लेकर बैठेगा भैया

बिन राधा गुमसुम बैठेगा कन्हैया

भूखा रहेगा बछड़ा क्योंकि ना होगी गैया

आशा करती हूँ मैं कि फिर कभी ना सुनी

लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी 

 

चित्र स्त्रोत- DNA India, HT,Youthkiawaaz,Maharashtra times,Pineterst,NDTV khabar

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