आप सबसे गुजारिश है नीचे दिए गए किसी भी वाक्य को एक नयी माँ को कभी ना बोले | जब भी समझ ना आया क्या बोलना है एक कोंग्रटुलेशन (बधाई हो) से बात बन सकती है |
जब बच्चा सोये तब आप भी सो जाया करो
सलाह तो बहुत अच्छी है लेकिन बहुत सी मम्मियों के लिए ये कामयाब नहीं हो पाती. पहली बात तो जब बच्चा सो रहा हो तो एक नयी माँ के पास और भी बहुत काम होते है जो वो शायद इसी समय निपटा सकती है, या हो सकता है घर में और भी बच्चे हो जिन्हे समय देना जरुरी है और सच माने कई बार तो अगर आप तकिये पर सिर टिका कर बैठे है तब तक तो ठीक जैसे ही आप रजाई में घुसने की कोशिश करते है बच्चा के उठने का समय हो जाता है |
तुम बहुत थकी-थकी सी लग रही हो
चाहे कोई नयी माँ हो या नहीं, ये लाइन शायद किसी के लिए भी ठीक नहीं. और सोचे सामने वाला इसका जवाब क्या देगा – अह्ह्ह… थैंक यू ! ये जो 2-3 घंटे मुझे सोने मिलता है ना और हर 2 घंटे बाद जो नींद उखड़ती है उससे मेरी एनर्जी बहुत बढ़ रही है.
पूरी रात जागते हुए काटना, बच्चे की हर हरकत पर ध्यान, डायपर और फीडिंग का सिलसिला लम्बे समय तक चलता रहता है. कभी आपने नाईट शिफ्ट में काम किया है, और ऐसी नाईट शिफ्ट जिसमे दिन में भी सोने ना मिले. तो एक नयी माँ कुछ इस तरह की ही जॉब कर रही है जहां कोई वीकेंड, कोई सैलरी और कोई आराम नहीं. यहाँ तक कि दुनिया की हर माँ कि जॉब प्रोफाइल मिलता जुलता है जहां उससे एक्सपेक्टेशन पूरी है और उसकी एक्सपेक्टेशन का ख्याल नहीं.
एक-एक पल को पूरी तरह जीना
बहुत ही खूबसूरत सलाह है कि बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो जाते है तो हर एक पल को एन्जॉय करों लेकिन शायद उस नयी माँ के लिए नहीं जिसने अपनी मातृत्व का सफर अभी-अभी शुरू किया है और वो बहुत सारी नयी जिम्मेदारियों के बीच घिरी है जहां उसे कई बार तो शायद कुछ भी नहीं समझ आ रहा होता.
लड़की हुई है कोई नहीं अगली बार लड़का
मुझे ऐसे लोगों से कोई गिला नहीं लेकिन एक बार बोलने से पहले जरूर सोचो. लड़का या लड़की होना किसी के बस में नहीं. माँ भी वही है, 9 महीने का मुश्किल सफर भी वही, लेबर पेन भी वही और नन्ही जान भी वही, कोई फर्क नहीं. लड़का हो या लड़की, तंदुरस्त होना चाहिए. बल्कि अगली बार लड़का होगा बोलने से अच्छा है भगवान् आपको और बच्चे को हमेशा खुश रखें.
बहुत मोटी हो गयी हो
ये बात कुछ हज़म नहीं हुई यहाँ पर हाजमोला भी काम नहीं करेगी. कोई ऐसा बोल भी कैसे सकता है. उसका शरीर है, हर शरीर की अलग बनावट होती है. कोई मोटा हो जाता है तो कोई पतला. और अगर वो मोटी हो गयी है तो इस बात का अंदाजा उसे आपसे ज्यादा है. शायद वो इस पर काम भी कर रही हो लेकिन जैसे 9 महीने वजन बढ़ाने में लगे वैसे ही उसे घटाने में भी वक़्त चाहिए.
ब्रेस्टफीड ही करायों, पाउडर मिल्क ठीक नहीं
वो ब्रेस्टफीड करवाए या पाउडर मिल्क, ये माँ पर निर्भर करता है, उसने बच्चे को जन्म दिया है, वो जानती है क्या उसके और उसके बच्चे के लिए ठीक है. कभी कभी तो ऐसा भी होता है कि कई कारणों की वजह से माँ को पाउडर मिल्क का सहारा लेना पड़ता है और सच मानिये अगर माँ ब्रेस्टफीड करवा सकती तो जरूर करवाती.
चित्र स्त्रोत -Portea, gulf news,firstcry parenting