दीदी आज कही जाना है

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जैसे ही फ़ोन के अलार्म में 5:30 बजे, निशा को लगा अभी तो सोई थी इतनी जल्दी उठने का टाइम हो गया |

उसने अपनी नींद से सुकुड़ती आँखों से फ़ोन की और देखा और सोचा 10 मिनट और सो जाती हूँ | फ़ोन को स्नूज किया और फिर आँख बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन फिर चाहते हुए भी नींद ना आ पायी | सोचने लगी काश हमारी ज़िंदगी में भी स्नूज़ का बटन होता तो हम उसे जहा चाहे रोक लेते | मन ना हो तब भी जल्दी उठो, खाना बनाओ, बच्चो को स्कूल के लिए तैयार करो – हर औरत की यही ज़िन्दगी हैं |

फिर उसका ध्यान साथ लेटे पति विशाल पर गया | वो भी अपनी नींद पर कण्ट्रोल कर उठने की कोशिश कर रहा था | अपने माथे पर हाथ रख कर विशाल बोला “सर में बहुत दर्द हो रहा हैं लेकिन ऑफिस तो जाना ही होगा |

चलो कोई नहीं कल संडे हैं, छुट्टी हैं तो थोड़ा आराम मिल जाएगा | निशा ने विशाल के सर पर हाथ रख कर बोला “कोई नहीं, अभी टाइम हैं, आप सो जाओ, ऑफिस के कपड़े मैं प्रेस कर दूंगी |

बात करते-करते निशा की आँख फ़ोन पर गयी और टाइम था 6:10 | निशा फटाफट किचन की ओर भागी और पति और बेटे काव्यांश के लिए ब्रेकफास्ट और लंच बॉक्स तैयार किये | काम करते करते निशा सोचने लगी – मैं अकेले थोड़े हूँ जो जल्दी उठती हूँ | विशाल ऑफिस जाते हैं,काव्यांश स्कूल जाता | सबका अपना-अपना काम हैं | मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही हूँ |

विशाल को ऑफिस और काव्यांश को स्कूल भेजने के बाद, अपना सारा काम निपटा कर, जैसे ही निशा चाय का कप लेकर बैठी | उसकी कामवाली ने मिस्ड कॉल मारी |

वैसे भी कामवाली का फ़ोन आना किसी दहशत से कम नहीं – पता नहीं आएगी या नहीं – यही डर से दिल दहल जाता हैं | निशा ने तुरंत उसे फ़ोन किया -क्या बात हैं रेवती ?

रेवती – आज नहीं आउंगी,छुट्टी पर हूँ !

निशा- लेकिन घर का सारा काम पड़ा हैं,तुझे कितनी बार कहा हैं एक दिन पहले बताया कर | अब किस बात की छुट्टी ?

रेवती – कही जरुरी जाना हैं |

निशा गुस्से में बोली – हद्द हैं तेरी, पहले नहीं बता सकती थी |

रेवती – अरे गुस्सा क्यों हो रही हो दीदी | छुट्टी तो हर इंसान को चाहिए होती हैं | मैंने क्या नयी बात कर दी |

निशा ने फ़ोन तो रख दिया लेकिन उसके दिमाग में एक ऐसी बात आयी जो शायद हम औरतो में से कोई नहीं सोचता | पति को भी छुट्टी मिलती हैं ऑफिस से, बच्चों को स्कूल से | यहां तक कि मेरी कामवाली तक को छुट्टी मिलती हैं लेकिन मुझे क्यों नहीं ?

विशाल ऑफिस से आया तो स्नैक्स परोसते समय निशा ने यही बात छेड़ी “सबको छुट्टी मिलती हैं तो मुझे क्यों नहीं ?” विशाल बोला – क्या यार, ऑफिस से थक कर आओ और फिर तुम्हारी ये बातें सुनो |

निशा ये सुनकर मायूस सी हो गयी और रात के खाने की तैयारी में लग गयी | काव्यांश के होमवर्क, उसको सुलाने और रसोई समेटने तक वो भी इस बात को भूल गयी |

अगली सुबह काव्यांश ने निशा को कहा मम्मा ब्रेकफास्ट में क्या हैं ?

निशा बोली बस आलू के पराठे बनाउंगी | तभी विशाल बोला – नो बेटा, आज तुम्हारी मम्मी की छुट्टी हैं | आज ब्रेकफास्ट पापा और काव्यांश बनाएंगे और लंच होगा बाहर 🙂 निशा ये सब सुनकर इतनी हैरान हो गयी |

विशाल और काव्यांश को गले लगाकर बोली ” थैंक यू बोथ फॉर दा लीव “

 

चित्र स्त्रोत -Aletia, ABC news,techzilla,usbdata,Indianblogworld

1 thought on “दीदी आज कही जाना है

  1. Very well written. This seems to be story of every household. Hats off to all the ladies for their never ending efforts to make their family happy and comfortable.

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