ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए

Poems


ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए


जैसे ही मेरे हाथ ग्रीस से सने
मेरा नाक पर खुजली करने का मन सा बने
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए



ऑफिस में लेट होने का बहाना जो गाड़ी पंचर बताया
अगले दिन ही साला कर्मों का फल मैंने पाया
गाड़ी भी हुई वहां पंचर
जहां था सुनसान बंजर
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

रोंग नंबर जो डायल हो जाए कभी
मजाल है ऐंगज़ हो जाए कभी
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

काम करते-करते औजार जो हाथ से कोई छूट जाएं
ऐसे कोने में जाकर पहुंचे, मिले ना मरते मर जाएं
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

मिनटों लाईन में खड़े-खड़े जब सोचा
दूसरी लाईन तो धड़ल्ले से है चल पड़ी
क्यों ना लग जाऊ दूसरी लाईन में
जब बदली लाईन तो मेरी लाईन ही थम पड़ी
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए



जब समझाना चाहो कि ये मशीन काम नहीं करेगी
तभी वो बिन अटके, फुर्र से चल पड़ेगी
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

स्कूल ऑडिटोरियम में कोई भी फंक्शन हो जाएं
जिसकी सीट लाइन में सबसे लास्ट में हो
वही क्यों सबसे लेट पहुंच पाएं ?
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए



जब मेन रोड पर हुआ जाम भारी
हमने शॉर्टकट पर काट ली गाड़ी हमारी
उस शार्ट-कट पर ऐसा लगा जाम
कि वक्त बचाने के दुगने देने पड़े दाम
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

शावर में मिलता जैसे ही सुकून
क्यों फोन की घंटी बज जाती है?
जिस अंग तक पहुंचना हो मुश्किल
क्यों खुजली करने की ललक वही ज्यादा आती है?
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

बड़े-बड़े हेड्स से शाबाशी बटोर कर
झट से चढ़ गए हम तो चने के झाड़ पर
हो गयी सारी हेकड़ी फेल
बिन अटैचमेंट ही भेज दी मेल
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

जब डर हो कि कोई
देख ना लें हमे “किसी” के साथ
तभी कोई जाना-पहचाना एहसास
रख दे पीठ पर हाथ
ज़िन्दगी का व्यंग्य देखिए
जो ना चाहते वही देखिए

चित्र स्त्रोत -Reader digest Canada, yourmachanic.com, panoston.com, Medical News Today, Which.Co.UK

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