मैं शब्द रहूं और तुम रहो अर्थ

Poems


हम हमेशा एक साथ रहे
लेकिन एक-दूसरे को जगह देनी जरूरी है,
अभी ज़िन्दगी अधूरी तो नहीं
लेकिन बेशक तेरे साथ ही पूरी है |


हम एक दूसरे को बेहद प्यार करें
लेकिन न बने प्यार की मिसाल हम,
फेसबुक की एक फोटो और थोड़े से लाइक्स के लिए
क्यों जिए आज कम |


हम एक दूसरे का कप तो भरे
लेकिन जरूरी नहीं एक कप से पिए,
तू मेरी और मैं तेरी भूख का ध्यान रखूँ
चल इसी सोच से ज़िन्दगी जिए |


हम एक दूजे को दिल तो दे अपना
लेकिन एक दिल में रहने की बात न कर,
तू मेरे और मैं तेरे एहसासों का ख्याल रखूँ
है मंजूर तो आगे हाथ कर |


हम एक दूसरे की आँखों के सामने रहे
लेकिन मुश्किल है हर बार समझना बिन कहे,
आँख से अगर किसी की भी आंसू आए
बस एक-दूजे के कंधे का साथ रहे |


हम एक राह पर तो चले
लेकिन मुमकिन नहीं राहों में फूल बिछाना,
तू मेरे और मैं तेरे पैर के कांटें निकालू
सफर करना हो शुरू तो जरूर बताना |


हम एक दूसरे की हर बात समझे
लेकिन जी-हज़ूरी करना तो गवारा नहीं,
कभी तू झुके तो कभी मैं झूकूं
बोल दे अगर मेरे साथ तुझे ये ज़िन्दगी प्यारी नहीं |


हमारा मन एक हो जाएँ
लेकिन चाहतें भी एक हो जाएँ ये तो कोई बात नहीं,
आज तेरा टेनिस हो तो कल हो मेरा बैडमिंटन
फिर सुख होगा पास हमेशा, दुःख की इतनी औकात नहीं |


हम हो एक साथ खड़े
लेकिन सटकर क्यों होना है खड़े,
एक इमारत के खम्भे होते है दूर
लेकिन याद रहे इमारत है खड़ी क्योंकि साथ वें है खड़े |


ज़िंदगी के मुश्किल सवालों का हम डट के सामना करें
लेकिन हर जवाब आता हो ये किसने बोला है,
मैं शब्द रहूं और तुम रहो अर्थ
ज़िन्दगी को मैंने बस इतनी सी परिभाषा में तौला है |

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