पढ़ों न माँ !

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माँ ये लैटर मेरी टीचर ने दिया है और कहा है कि अपनी माँ को दे देना !

क्या लिखा है माँ इसमें? पढ़ों न माँ… पढ़ों न !

उस कागज़ में जो लिखा था, उसे पढ़ते ही माँ की आँखों से मोटे-मोटे आंसू छलकने लगे |

क्या हुआ माँ, क्या लिखा है इसमें ?

इसमें लिखा है – “आपका बेटा बहुत होनहार है | उसका दिमाग बहुत तेज है | इतना तेज कि उसके इस ज्ञान को बढ़ाने के लिए हमारे पास उतने अच्छे टीचर भी नहीं है | हमारा स्कूल भी उसके लायक नहीं है | तो आज से आप उसको घर पर ही पढ़ाएं”|

वो छोटा बच्चा था – थॉमस एडिसन!

थॉमस एडिसन दुनिया भर में अपनी महानता और अविष्कारों के लिए जाने जाते है |

अपनी माँ के इस दुनिया से चले जाने के बाद, जब एक दिन थॉमस अपने परिवार से जुडी पुरानी तस्वीरें और पुराने सामान को देख रहे थे कि अचानक उनकी नज़र एक कागज़ पर पड़ी |

उसमे लिखा था – “आपका बेटे का दिमागी संतुलन ठीक नहीं है | उसके बेवजह और बेकार के सवालों से पूरा स्कूल परेशान है | हमें उसका भविष्य सिर्फ और सिर्फ अन्धकार में दिखाई देता है इसीलिए हम उसे अब स्कूल में आने की अनुमति नहीं दे सकते |”

एडिसन घंटों उस कागज़ को हाथ में लिए रोते रहे और उन्होंने अपनी डायरी में लिखा- “थॉमस एल्वा एडिसन का दिमागी संतुलन ठीक नहीं था पर फिर भी आज पूरी दुनिया उनके दिमाग की तारीफ करते नहीं थकती | थॉमस एडिसन की ज़िन्दगी में सिर्फ और सिर्फ अन्धकार दिखाई देता था पर फिर भी आज वही पूरी दुनिया में उजाला ले कर आया है | – और ये मुमकिन हुआ सिर्फ और सिर्फ मेरी “माँ” की वजह से !

चित्र स्त्रोत-Thebl.com

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