तुम कितनी जल्दी बड़े हो गए !

सोलह, सत्राह और बीत गया अठारा
टॉप के कॉलेज में नाम आ गया तुम्हारा

तुम बड़े लगे जब ग्रेजुएशन कैप तुमने हवा में फेंकी थी
इससे बड़ी ख़ुशी ना कभी हमारी आँखों ने देखी थी

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लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी

सुना है पिता की ऊँगली पकड़ कर चलना सीख जाती मै ,
सबसे लाडली होती उनकी अगर इस दुनिया में आती मै
रोने से पहले किलकारी दबा दी गयी,
लो आज फिर एक बेटी मार दी गयी।

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क्या बचपन याद है तुम्हे ?

पेप्पेर्मेंट वाली सिगरेट का पैकेट लेकर ,

दोस्तों को शाम को खेलने का वादा देकर,

वो खुद से बड़े गली के लडको से लड़कर,

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